हाल ही में आये एक आंकड़े के अनुसार भारत में ओरल कैविटी कैंसर दूसरा और सबसे आम बीमारी है | ओरल कैविटी कैंसर में ओरल कैविटी, होंठ, ऊपर और नीचे के जबड़े, आदि हिस्सों को प्रभावित कर देता है | महिलाओं की तुलना में इसके मामले पुरुषों में सबसे अधिक देखने के मिलते है | जिसकी वजह से हर साल लाखों की संख्या में लोगों की मौतें हो रही है | इसलिए इस कैंसर के शरुआती संकेतो और लक्षणों को समझना प्रत्येक व्यक्ति के लिए बेहद ज़रूरी होता है | आइये जानते है ओरल कैविटी कैंसर के बारे में विस्तारपूर्वक से :-
ओरल कैविटी कैंसर क्या है ?
ओरल कैविटी कैंसर मुँह के अंदर होने वाला एक किस्म का घातक कैंसर होता है, जिससे मौखिक या फिर मुँह का कैंसर के नाम से भी जाना जाता है | यह कैंसर आमतौर मुँह के सामने दो तिहाई हिस्सों में, जीभ, मसूड़ों और गले के अंदर विकसित होने लग जाता है | हालाकिं यह गालों, टॉन्सिल, लार ग्रंथियों, मुँह के ऊपरी परत और मसूड़ें के ऊतकों में भी उतपन्न हो सकता है |
ओरल कैविटी के बारे में कुछ ज़रूरी बातें :-
- मुँह के कैंसर की शुरुआत अक्सर होंठ और मुँह के अंदरूनी परत में बनाने वाली सपाट, पतली कोशिकाएं यानी स्कवैसम कोशिकाओं में होती है |
- यदि इस कैंसर के लक्षणों का जल्दी पता लग जाता है तो इसे संभावित रूप से ठीक किया जा सकता है |
- मुँह के कैंसर के इलाज के बाद उपस्थित में कुछ बदलाव आ सकता है और बोलने और खाना खाने में परेशानी हो सकती है |
- उपचार के बाद, दर्द और दुष्प्रभावों में प्रबंधन लगाने के लिए आपको डेंटिस्ट के मदद की ज़रुरत पड़ सकती है |
- उपचार के बाद, पहले तीन साल तक, हर तीन महीने बाद अपना परीक्षण करवाना लाज़मी होता है |
ओरल कैविटी कैंसर के मुख्य लक्षण
मुँह के कैंसर के मुख्य लक्षण है लगातार छाले का होना, सफ़ेद और लाल रंग के धब्बे, गर्दन में गांठ बनना, आवाज़ में बदलाव और खाने को निगलने में दिक्कत होना आदि शामिल है | अगर यह लक्षण 2 या फिर 3 हफ़्तों से अधिक समय तक बने रहते है तो बेहतर यही है की आप डेंटिस्ट के पास जाएं अपनी स्थिति की अच्छे से जांच करवाएं | विशेषज्ञ आपकी स्थिति की अच्छे से जाँच करेंगे, यदि परीक्षण के दौरान उन्हें कैंसर से जुड़ा कोई संदिग्ध नज़र आता है तो बायोप्सी नामक जाँच के ज़रिये कैंसर की पुष्टि की जाती है |
लुधियाना डेंटल सेंटर के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर बिक्रमजीत सिंह ढिल्लों ने यह बताया की बायोप्सी एक ऐसी जाँच प्रक्रिया होती है, जिसमें पैथोलॉजी जांच के लिए अल्सर का एक छोटा सा हिस्सा लिया जाता है | आपको बता दें बायोप्सी से कभी भी कैंसर नहीं फैलता | कभी-कभी पुष्टि करने के लिए एडोस्कोपी की भी ज़रुरत पड़ सकती है, जोकि ओपीडी की प्रक्रिया होती है | अगर कैंसर होने की पुष्टि हो जाती है तो इस कैंसर के फैलाव की जांच करने के लिए सिटी स्कैन, एमआरआई और पीईटीसिटी स्कैन को करवाने की ज़रुरत पड़ सकती है |
प्रारंभिक अवस्था में, ओरल कैविटी का इलाज के लिए ज्यादातर सर्जरी या फिर रेडियोथेरेपी जैसे एकल उपचार का उपयोग किया जाता है, जिसके जीवनकाल परिणाम बहुत ही अच्छा होता है | सर्जरी के बाद इस मरीज़ों के जीवन स्तर भी बहुत अच्छा हो जाता है और उपचार के संबंधित उन्हें बहुत ही कम दुष्प्रभावों को झेलना पड़ता है |
कई बार, बहुत से लोग उन्नत अवस्था में होते है, जिन्हे कैंसर को ठीक करने के लिए रेडियोथेरेपी के साथ-साथ कीमोथेरेपी की आवश्यकता होती है | उन्नत अवस्था वाले मरीज़ों को बेहतर व्यावहारिक और कॉस्मेटिक परिणामों के पुनर्निर्माण की आवश्यकता पद सकती है | इसमें से कुछ मरीज़ ऐसे होते है, जिसके ठीक से खाने और बोलने के सक्षम होते है और उनका पुनर्निर्माण और पुनर्वास भी बहुत अच्छा होता है |
यदि आप में से कोई भी व्यक्ति ओरल कैविटी कैंसर से पीड़ित है और अपना स्थायी रूप से इलाज करवाना चाहते है या फिर इस विषय संबंधी अधिक जानकारी को प्राप्त कर चाहता है तो इसके लिए आप लुधियाना डेंटल सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर बिक्रमजीत सिंह ढिल्लों पंजाब के बेहतरीन प्रोस्थोडोंटिस्ट और इम्प्लांटोलॉजिस्ट में से एक है, जो पिछले 10 वर्षों से दांतों से जुडी समस्याओं से पीड़ित मरीज़ों का इलाज करने में मदद कर रहे है | इसलिए आज ही लुधियाना डेंटल सेंटर की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |